حالـــه
حـــيث انقــلب |
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والخصـم
لا يـخفى عليكم |
إنـــه
الخــــل المحــــب |
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وأتـــى
يخادعـــكم فقــلتم |
بمكائـــد
لـــم تــحتسب |
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بتـــم
وبـــات ينــوشــكم |
تــحت
الليــالي والحجب |
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شـــعواء
دس إليكـــم |
لــم
يخشــه مــكر وقــب |
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مــن
هــم أن يصطـاد من |
الأوائـــل
تـــكتب |
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أيـــبركم
ولديـــه أخبـــار |
هشيمـــا
محتـــطب |
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كـم
وقعة تركت جماجمهم |
عبيـــدا
لـــلعرب |
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كم
عرصة تركت ملوكهم |
غنـــائم
تـــنتهب |
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كم
غزوة تركت ذخائرهم |
أو
صفـــاء مرتـــقب |
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أيــــكون
مـــع هــذا وداد |
ولـه
الأمــور كمــا يحب |
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أيــــبر
خـــصم خصمـــه |
إلا
الكتــائب والكتـــب |
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مـــا
خـــلفت أسلافـــكم |
مـــن
المعـــالي مــــقترب |
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وسياســــة
تـــذر البعيـــد |
الخصــم
رعبـا مضـطرب |
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وبسالـــة
يـــهتز منهــــا |
والمكـر
مـا كـان السبـب |
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لا
بالخـــدائع حــربهم |
طيـــران
السحــــب |
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لكنــه
ضــرب يـطير الهـام |
مثـــل
أوراق تــجب |
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وتـرى
الأكـف بـه تساقط |
مثــل
بــرق مــن كتــب |
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وتــرى
المهنـد فيــه يــلمع |
كرمـــال
الكثـــب |
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مــع
قلـة مـنهم وخصمهم |
بهــم
مــن العليــا طــلب |
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فغـــدوا
نجومـــا يهتـــدي |